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सफर - मौत से मौत तक….(ep-35)








इशानी ने जल्दी जल्दी अपना बैग पैक करना शुरू कर दिया  लेकिन उसके दिमाग मे एक टेंशन थी। ये शादी उसकी अपनी मर्जी की थी, अगर वो घर छोड़कर मायके जाएगी तो उसके मम्मी पापा उसे बहुत डांटेंगे और कहेंगे कि उन्होंने पहले ही बोला था सोच समझकर फैसला लेने को। अगर शादी अरेंज मैरिज होती तो बात अलग थी। लेकिन सामान पैक किया था तो कम से कम थोड़ी एक्टिंग तो करना ही पड़ेगा।

समीर इशानी इशानी बोलते हुए अंदर आया और उसे मनाते हुए बोला।
"इशानी प्लीज….मेरी बात सुनो" समीर ने कहा।

यही यमराज और नंदू अंकल भी अंदर आ पहुंचे देखने के लिए की अंदर क्या ड्रामा होगा।

" देखो मेरा दिमाग अभी बहुत खराब है, मुझसे दूर रहो, और जाने दो मुझे, इस घर मे या तो ये शराबी रहेगा या मैं रहूँगी" इशानी बोली।

"लेकिन यहां से जाकर तुम कहाँ जाओगी….मायके में कब तक रहोगी….झगड़ा छोड़ो और बदल लो अपना फैसला" समीर बोला।

"मेरा फैसला नही बदलेगा, आज तुम्हे चुनना ही पड़ेगा……या पापा या मैं….हम दोनों में से किसी एक को चुनना ही होगा।" इशानी बोली।

"ये तुम्हारे लिए आसान  होगा….लेकिन मेरे लिए नही….अपनी जिद छोडो और मुझे सोचने का वक्त दो" समीर बोला।

"वक्त ही नही है तुम्हे देने के लिए, मैंने हमीशा तुम्हे इतना वक्त दिया, शादी से पहले भी और शादी के बाद भी….लेकिन आज वक्त नही है तुम्हे देने के लिए, जिससे तुम ज्यादा प्यार करते हो उसे चुन लो, इतना मुश्किल सवाल भी नही है" इशानी बोली।

"हद है यार….पापा कहाँ जाएंगे इस उम्र में, अकेले कैसे रहेंगे, अपने साथ रखने के लिए उन्हें मैं इस शहर ले आया। उस मकान को बेचकर आज ये घर लिया है। अब अपने घर के होते हुए उनको किराए पर रखना ठीक नही है" समीर बोला।

"मेरी ही गलती है, जब वो मान नही रहे थे शहर आने के लिए तो तुम्हे उन्हें मनाने के तरह तरह के आइडिया देकर गलती कर दी, और शादी से पहले तो इतना प्यार नही था पापा के लिए, अब क्यो इतना प्यार आ रहा है" इशानी बोली।

"वो हर पल मेरी खुशी के बारे मे सोचते है…. उन्होंने बच्चों से आज तक कभी अपनी खुशी के बारे में नही सोचा,  बस शराब ने उनकी थोड़ी आदत खराब कर दी है, कैसे भी एक बार शराब छूट जाएगी तो उसके बाद सब ठीक हो जाएगा" समीर ने कहा।

"अरे, समीर को तो हम ख़ामोखा गलत समझते थे यार….ये तो अच्छा लड़का है" यमराज ने नंदू अंकल से कहा।

"ऐसी कोई बात नही….तुम आधी आधी बाते मत सुना करो" नंदू अंकल ने कहा।

" क्यो….ठीक तो कह रहा है वो….बस शराब ने ही तुम्हे बिगाड़ रखा है।  अगर ये छूट जाएगी तो शायद तुम ठीक हो जाओगे" यमराज बोला।

"सुनो……" नंदू ने समीर की बातों की तरफ़ यमराज का ध्यान आकर्षित  करते हुए कहा।

"पापा की शराब छुड़ाने के एक उपाय है मेरे पास" समीर बोला।

"क्या……" इशानी ने पूछा।

"अगर उनके पास पैसे ना रहे तो….फिर कैसे पियेंगे" समीर बोला।

"आप ही देते थे, जेब खर्च….ये सही सोचा….वैसे भी खाना, पीना और रहना सब फ्री है, उनको पैसे की क्या जरूरत।" इशानी बोली।

"आगे से उन्हें पैसे नही देंगे" समीर ने कहा।

"आगे से नही देंगे, लेकिन जो पहले दिए थे, उनका महीने का कोटा तो अभी भी पड़ा होगा उनके पास" इशानी बोली।

"वो मुझे पता है कहां छिपाया होगा" समीर बोला।

यमराज ने नंदू अंकल कि तरफ देखते हुए कहा "ओहहो तो बाप के जेब से चोरी करेगा अब ये"

"हां इतना ही नही, एक एक रुपये के लिए तरसाया, लगातार एक महीने तक पीने के बाद अचानक मैं घूंट घूंट के लिए तरसने लगा था" नंदू अंकल ने कहा।

"अच्छा इसी लिए आपने फांसी लगा ली" यमराज ने कहा।

"नही ये तो छोटी मोटी बात थी, अब समीर और इशानी में मेरे कारण झगड़े बढ़ने लगे थे, मेरा बेटा वापस मेरे तरफ आने लगा था, और सही को सही गलत को गलत बोलने लगा था, लेकिन……" नंदू अंकल कुछ कहते कहते रुक गया ।

"लेकिन क्या……क्या हुआ" यमराज ने पूछा।

"चलो मेरे साथ"
नंदू अंकल ने अब यमराज के साथ सीधे उस वक्त पर कदम रख लिया था जिसका राज जानने के लिए वो खुद व्याकुल थे,अब तक तो शराब भी छूट चुकी थी। और सबकुछ ठीक चलने लगा था,बस इशानी को जलन थी तो नंदू और समीर के बीच बढ़ती दोस्ती से।
 
नंदू अंकल और यमराज अंदर आये जहां पर अभी नंदू , इशानी और  पुष्पाकली खड़े थे। उनमें एक भयानक बहस छिड़ी हुई थी।

पुष्पाकली रो रही थी,

समीर ऑफिस से अभी आया नही था। और नंदु बार बार पूछ रहा था कि आखिर वो क्यो इस तरह रो रही है।

"क्या हुआ….कोई परेशानी है तो मुझे बताओ….क्या दिक्कत है।" नंदू ने पुष्पा के  सवाल किया ।

"आने दो समीर को….उनके आने के बाद बताएंगे क्या दिक्कत परेशानी है" इशानी बोली।

पुष्पाकली अभी चुप थी, वो बोल नही रही थी बस रो रही थी।

यमराज के लिए यह दृश्य सच मे हैरान करने वाला था। उसने नंदू अंकल से कहा- "क्या बात हो गयी, इस नौकरानी को सांप काट गया क्या….ये क्यो इतना बिलख बिलख के रो रही है"

"बस यही एक सस्पेंस बचा है मेरी कहानी में….इंतजार कर लो और मुझे भी समझने दो….क्योकि मैं खुद नही समझ पाया था उस दिन की आखिर ऐसा क्यो हुआ था।" नंदू अंकल बोले।

यमराज जान चुके थे नंदू अंकल की शैतानी, नंदू अंकल बताना नही चाह रहे थे, और बताते भी क्यो….इतनी लंबी कहानी सुनाकर अगर एंडिंग बता दिया तो क्या फायदा।

पुष्पा कली लगातार रो रही थी, और उसका रोना चुभ रहा था नंदू को….अगर कारण पता हो तो अलग बात थी, लेकिन बेवजह कोई रोता रहे तो अजीब तो लगेगा ही, नंदू  ने हारकर पुष्पाकली को डांटते हुए कहा- "पागल है क्या…. दिक्कत बता…… क्या परेशानी आ रही, क्यो इतना रो रही, जब कारण पता लगेगा तब समाधान करेंगे"

पुष्पाकली ने अब भी कुछ नही कहा।

नंदु को लगा शायद कोई पर्शनल मैटर होगा, इसलिये नंदू ने कहा "अच्छा……चल कोई बात नही अगर मेरे सामने नही बोलना तो इशानी को बता दे……मैं बाहर चले जाता हूँ"

"जरूरत नही है……समीर के आने के बाद सब बताएगी, बार बार एक ही बात रिपीट नही करेगी वो, कोई इतना अच्छा काम नही किया है आपने……जो बार बार बताएंगे" इशानी बोली।

"मैंने….लेकिन मैंने क्या किया" नंदू ने हैरानी से पूछा।

"वो तो बताएंगे थोड़ी देर में" इशानी बोली।

"पुष्पा अब और डराओ मत….जल्दी बताओ मेरी वजह से कोई तकलीफ हुई क्या" नंदू ने सवाल किया।

"तकलीफ….अब पूछ रहे हो क्या तकलीफ….सब बता दिया है मुझे पुष्पा ने….तुमने उसके साथ क्या करने की कोशिश की है…." इशानी बोली।

"तुम क्यो वकालत कर रही हो….वो खुद भी बोल सकती है"  नंदू ने इशानी को डांटते हुए कहा।

"वकालत तो अभी समीर करेगा, आने दो आज" इशानी बोली।

"ये बार बार उसके नाम की धमकी मुझे मत दो….मैं डरता नही उससे……और मैंने अगर कुछ किया होगा तो अच्छा ही किया होगा….डाँटा होगा तो अच्छे कर लिए डांटा होगा।" नंदू ने कहा।

समीर भी दरवाजा पर खड़ा नंदू की की बात सुन रहा था….अब समीर अंदर आते हुए बोला- "क्या हुआ….आज क्या नया बखेड़ा खड़ा हो गया…."
तभी उसकी नजर पुष्पाकली पर पड़ी जो रो रही थी….
"क्या हुआ रो क्यो रही हो" समीर ने पुष्पा से पूछा।

"रोयेगी नही तो क्या करेगी……." इशानी बोलने लगी कि उसे टोकते हुए नंदू बोला।
"तुम चुप रहो बहु….ये उसकी अपनी लड़ाई है….ये उसका अपना मामला है वो खुद बोलेगी।"

"पापा जी ठीक कह रहे है इशानी, तुमसे ज्यादा वो समझती है अपनी परेशानी, वो खुद बोले तो ज्यादा बेहतर है" समीर बोला।

तभी अपने आंसू पौछते हुए पुष्पा खड़ी हो उठी और बोली
"साहब….मैं अब नौकरी छोड़ रही हूँ, जिस घर मे घर के मालिक एक अबला मजबूर नौकरानी की इज्जत लूटने की कोशिश करेंगे तो भला कैसे काम कर पाऊंगी ऐसे घर मे"

"लेकिन मैं……मैंने कब……" समीर चौकते हुए बोला।

"आप नही साहब, बड़े मालिक….मैंने तो हमेशा उन्हें एक बाप का दर्जा दिया था, लेकिन किसके मन मे क्या खोट है वो तो सामने आ ही जाती है" पुष्पा ने कहा।

"ये….ये क्य….क्या बोल रही हो त….तुम……। तुम्हे अंदाजा भी है कितना बड़ा झूठा इल्जाम लगा रही हो" नंदू ने कहा।

"इतना भोले भी नही है आप जितना बनने की कोशिश कर रहे है, क्या बोल रहे थे, जिंदगी में हमसफर के बिना जीना कितना मुश्किल है मेरे अलावा कौन समझ सकता है….मेरी बीवी भी मुझे छोड़कर चली गयी मैं तुम्हारे अकेलेपन को समझ सकता हूँ" ये आपने कहा था कि नही।

"मैने तो इसलिये ये कहा क्योकि……" नंदू कुछ बोलताकी इशानी बोली।

"हाँ या ना बोलो पापाजी….किंतु परन्तु करके बात को मत टालिये आप" इशानी बोल पड़ी।

"हां बोला था….लेकिन ये बहुत पुरानी बात है….तब समीर की शादी भी नही हुई थी….और मैने तो इसलिये बोला था क्योकि…… " नंदू कारण बताता की एक बार फिर इशानी ने बात टालते हुए बीच मे बोल पड़ी- "अच्छा तो मेरे आने से पहले से चक्कर चल रहा तुम्हारा….और तुम पुष्पाकली, तुम इतनी अच्छी होती तो पहले ये बात बता देती, आज तक ये बात छुपाई क्यो…."

"मुझे नही पता था ये इस हद तक गिर जाएंगे,  पहले पहले तो मुझपर दया दिखाते, मेरी मदद करने के बहाने किचन में घुस आते थे, लेकिन अब……" कहते हुए पुष्पाकली रुक गयी और रोने लगी।

समीर को याद आया कि पापा हर हमेंशा पुष्पा को कम डाँटने की सलाह देते थे। और कहते थे कि वो भी इंसान है, जब पुष्पा सिर्फ सुबह के वक्त आया करती थी और समीर कहता था रात के बर्तन सुबह आकर पुष्पाकली धोएगी तो नंदू ये कहकर बर्तन धो दिया करता था कि सुबह उसके पास इतना वक्त नही होता, उसने झाड़ू पोछा भी करना होता है, कपड़े धोने और सुबह के बर्तन धोने होते है। और दूसरी कोठी में भी जाना होता है, और फिर घर जाकर बच्चो को भी देखना बेचारी कितना काम करेगी।

"लेकिन अब….लेकिन अब क्या करते है ये…." समीर ने पूछा।

"अब ये….बात बात पर हाथ पकड़ लेते है….और कल शाम को जब आप दोनो सैर पर गए थे तो ये मुझसे कहने लगे कि…. एक आदमी और एक औरत ही एक दूसरे की जरूरत पूरी कर सकते है, और जब दोनो अकेले हो तो…….छि: मुझे तो बोलने में भी शर्म आ रही है…… जब मैं नही मानी तो मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे, मैं किसी तरह खुद को बचाकर कमरे से बाहर आ गयी और किचन में आ गयी,ये भी वही आ गए….वो तो मेरे हाथ मे चाकू देखकर ये डर गए….और एक बात सच कह रही हूँ साहब अगर कल मेरे से इनका खून हो जाता तो इसके जिम्मेदार सिर्फ ये और इनकी गंदी हरकत होती।…." पुष्पकली ने कहा।

"ये झूठ बोल रही है, सरासर झूठ बोल रही है, ऐसा कुछ नही हुआ था कल" नंदू ने कहा।

"झूठ सच तो पुलिस बताती….मैं तो पुलिस के पास जाने वाली थी, वो तो मालकिन ने रोक लिया और कहा कि घर की इज्जत का सवाल है, इनकी कोई इज्जत ना सही मगर
छोटे मालिक समीर की इज्जत खराब होगी। मैं पुलिस के पास नही गयी तो मालकिन और छोटे मालीक के इज्जत के खातिर….वरना……" पुष्पाकली बोली।

समीर ने नंदू की तरफ देखा तो नंदू  ने सफाई देते हुए कहा- "ये सब झूठ है बेटा मेरा यकीन करो"

"मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी पापा….अब तो पापा कहते हुए भी शर्म आ रही है….पता है मैं कितना गर्व करता था कि मेरे पापा मम्मी से इतना प्यार करते थे कि सिर्फ शादी के एक साल बाद मम्मी के गुजर जाने के बाद भी आज तक उन्होंने शादी नही की, और मैं अपना आदर्श मानता था प्यार के लिए आपको….मुझे लगता था कोई इंसान कैसे इतना प्यार किसी से कर सकता है कि उसके यादों के सहारे पूरी जिंदगी गुजार दी….लेकिन मैं गलत था, असली चेहरा तो आज सामने आया है….मैं गलत था पापा….मैं गलत था….और इस बात के लिए मैं आपको कभी माफ नही करूँगा"  समीर ने कहा और अंदर अपने कमरे की तरफ चले गया।

"लेकिन मेरी बात तो सुनो….बेटा….सुनो तो सही कहते हुए नंदू भी अंदर कमरे की तरफ चले गया।

कहानी जारी है….


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4 Comments

Khan sss

29-Nov-2021 07:40 PM

Good

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Shalini Sharma

08-Oct-2021 09:30 PM

Very nice

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Niraj Pandey

07-Oct-2021 01:54 PM

बेहतरीन

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